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श्री हरखचंद नाहटा का 25वाँ स्मरणोत्सव (`25 का मूल्य) प्रमाण-लकड़ी की पैकिंग- FGCO001776

25, श्री हरखचन्द नाहटा का 25वां स्मरणोत्सव

श्री हरख चंद नाहटा का जन्म 18 को हुआ था, श्री हरखचन्द नाहटा जी का जन्म 18 जुलाई, 1936 को बीकानेर (राजस्थान) में एक प्रतिष्ठित और धनी परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री भैरुदान नाहटा एक सफल व्यवसायी और समाजसेवी थे और उनकी माता श्रीमती दुर्गा देवी एक धर्मपरायण, दयालु और उदार महिला थीं।

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25, श्री हरखचन्द नाहटा का 25वां स्मरणोत्सव

श्री हरख चंद नाहटा का जन्म 18 को हुआ था, श्री हरखचन्द नाहटा जी का जन्म 18 जुलाई, 1936 को बीकानेर (राजस्थान) में एक प्रतिष्ठित और धनी परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री भैरुदान नाहटा एक सफल व्यवसायी और समाजसेवी थे और उनकी माता श्रीमती दुर्गा देवी एक धर्मपरायण, दयालु और उदार महिला थीं।

बीकानेर में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, वे अपनी कॉलेज की शिक्षा के लिए कोलकाता चले गए। अपनी कॉलेज की शिक्षा के साथ-साथ ही, उन्होंने अपना व्यावसायिक जीवन भी शुरू कर दिया। उन्होंने कोलकाता के टेक्नीशियन स्टूडियो को अपने अधीन करके पूर्वी भारत में सिनेमा के विकास में बहुत योगदान दिया। उन्होंने आवश्यक और पर्याप्त धन मुहैया कराकर और उपकरणों एवं सुविधाओं को उन्नत करके इसे पुनर्जीवित किया। कई प्रशंसित निर्देशकों जैसे कि स्तयजीत रे, ऋत्विक घटक, बासु भट्टाचार्य आदि ने टेक्नीशियन स्टूडियो में फिल्मों का निर्माण किया।

उन्होंने देश के विभिन्न भागों जैसे सिलचर, करीमगंज, ग्वालपाड़ा, चापड़, बाबरहाट, बोलपुर, हाथरस, बीकानेर, कोलकाता, कानपुर, मुंबई आदि में स्थित अपने परिवार के व्यापारिक प्रतिष्ठानों को सफलतापूर्वक प्रबंधित किया और व्यवसाय का विस्तार करके तथा उसमें विविधता लाकर कम उम्र में ही बड़ी सफलता हासिल की। कोलकाता से दिल्ली आकर उन्होंने रियल एस्टेट के कारोबार में कदम रखा और कुछ ही समय में वे इस क्षेत्र के बड़े खिलाड़ी बन गए और अपने स्पष्ट और ईमानदार व्यवहार के कारण व्यापार जगत में सम्मान अर्जित किया।

वे एक अग्रणी सामाजिक नेता और परोपकारी व्यक्ति थे, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उदारतापूर्वक योगदान दिया। वे विभिन्न क्षमताओं में 60 से अधिक संगठनों से जुड़े रहे और उनके कामकाज में सकारात्मक योगदान दिया। वे खरतरगच्छ जैनियों के शीर्ष राष्ट्रीय संगठन, अखिल भारतीय श्री जैन श्वेतांबर खरतरगच्छ महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।

समाज के साथ-साथ व्यापार और वाणिज्य में उनके बहुमुखी योगदान के लिए, उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति और दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया। उन्हें "उद्योग व्यापार रत्न", "जिन शासन भक्त श्रेष्ठीवर्य", "मैन ऑफ द ईयर", "जिन गौरव", "विश्व मानव गौरव" आदि जैसे प्रशस्ति पत्रों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

एक पूर्ण और संतुष्ट जीवन जीकर, 21 फरवरी, 1999 को उन्होंने नई दिल्ली में अपनी अंतिम सांस ली।

सिक्के का

अंकित मूल्य

आकार और बाहरी व्यास मानक भार धातु संरचना
पच्चीस रुपए 1. वृत्ताकार

2. व्यास - 44 मि॰मि॰

3. दांतों की संख्या - 200

40 ग्राम शुद्ध चांदी
चांदी – 99.9 प्रतिशत