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कैवल्यधाम का शताब्दी वर्ष (`100 का मूल्य) (प्रमाण) - लकड़ी की पैकिंग -एफजीसीओ001438

*सिक्का प्राप्त न होने की स्थिति में इसकी जानकारी ऑर्डर की तारीख से नब्बे (90) दिनों के भीतर संबंधित विभाग के ध्यान में लाई जानी चाहिए। डाक द्वारा भेजे गए सिक्का सेट के पहुँचने में देरी या उसके खो जाने पर टकसाल ज़िम्मेदार नहीं होगी और उसके एवज में दूसरा (सब्स्टीट्यूट) सिक्का सेट के लिए दावा तब तक नहीं स्वीकार किया जाएगा, जब तक कि डाक प्राधिकारी द्वारा बीमा राशि वापस नहीं कर दी जाती।

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कैवल्यधाम की स्थापना, वर्ष 1924 में पूज्य स्वामी कुवलयानन्द जी ने की थी। इतिहास में पहली बार, योग के रहस्य को उजागर करने के लिए और उसे सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए संस्थापक द्वारा वैज्ञानिक अनुसंधान किया गया।

इस सदी में कैवल्यधाम में, योग संबंधी पहली वैज्ञानिक शोध पत्रिका – योग मीमांसा का प्रकाशन 1924 में हुआ, योग का पहला महाविद्यालय –गॉर्डनदास सेकसरिया कॉलेज ऑफ योग एंड कल्चरल सिंथेसिस 1951 में बना, योग का पहला अस्पताल – श्रीमती अमोलकदेवी तीरथराम गुप्ता योग अस्पताल 1961 में विनिर्मित किया गया। मरीन ड्राइव, मुंबई में एक केंद्र 1936 में, राजकोट में 1950 के दशक में और भोपाल में 1991 में स्थापित किया गया था।

अपने समृद्ध इतिहास में, कैवल्यधाम का उल्लेख वर्ष 1949 में भारत की संविधान सभा में संवैधानिक चर्चा में मिलता है। 1962 में भारत सरकार ने इसे योग में अखिल भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान के रूप में घोषित किया। वर्ष 1986 में इसे भारत सरकार द्वारा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन घोषित किया गया था। वर्ष 2004 में महाराष्ट्र सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को अवकाश दिया ताकि वे कैवल्यधाम में कार्यशालाएं कर सकें। वर्ष 2008 में वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने धारा 80 जीजीए के तहत कैवल्यधाम को मान्यता दी, जिससे संस्थान में योगदान के लिए दाताओं को 100% छूट दी जा सके। वर्ष 2015 में कैवल्यधाम ने भारत सरकार द्वारा कॉमन योग प्रोटोकॉल का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2019 में जीएस कॉलेज को केकेएसयू के तहत पीएचडी कार्यक्रमों के लिए अनुसंधान केंद्र के रूप में मान्यता दी गई थी। 30 अगस्त 2019 को, माननीय प्रधानमंत्री के करकमलों द्वारा संस्थापक स्वामी कुवलयानंद जी का एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया था। 2019 में, कैवल्यधाम को योग प्रमाणन बोर्ड, आयुष मंत्रालय द्वारा एक प्रमुख योग संस्थान के रूप में भी मान्यता दी गई थी।

पिछली शताब्दी में संस्थान द्वारा वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में बड़े प्रयास किए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप मौलिक सिद्धांतों और योग के अनुप्रयोग के रूप में साक्ष्य का एक बेंचमार्क स्थापित हुआ है। वैज्ञानिक पत्रिकाओं में 250 से अधिक प्रपत्र प्रकाशित हुए हैं। दार्शनिक साहित्यिक अनुसंधान में पाण्डुलिपियों के अनुवाद के दोनों, प्रचलित और विश्लेषणात्मक 150 से अधिक प्रपत्र प्रकाशित हुए हैं। कॉलेज ने योग की अविच्छिन्न परंपरा में छात्रों के अनुभवात्मक शिक्षण को सक्षम किया है। स्वास्थ्य देखभाल केंद्र ने समग्र स्वास्थ्य और कल्याण विकसित करने के लिए हजारों व्यक्तियों की सेवा की है। कैवल्य विद्या निकेतन, एक सीबीएसई से सम्बद्ध स्कूल है, जो 850 स्थानीय छात्रों की देखभाल करता है और समग्र विकास के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है। योग और उप-योग संस्थान में बहुत मौलिक विचार रहे हैं, और इसलिए, प्रकृति के साथ संश्लेषण एक बहुत ही महत्वपूर्ण विचार रहा है।

स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े प्रख्यात व्यक्ति स्थापना के समय से ही संस्थान से जुड़े रहे हैं। महात्मा गांधी जी, पंडित मदन मोहन मालवीय, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर, श्री जे.आर.डी.टाटा, पंडित मोतीलाल नेहरू, श्री एम.सी.सी.सीतलवाड़, श्री बी.जी.खेर और भी बहुत लोग। उन्होंने स्वामी जी के कार्य की नींव को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सह्याद्री पर्वतमाला के बीच लोनावाला में 170 एकड़ में फैले, कैवल्यधाम, "अधिक से अधिक मानवजाति को संतुष्टि प्रदान करने के दर्शन को विकसित करने के विचार के साथ योग के आध्यात्मिक तथ्य को आधुनिक विज्ञान के साथ संयोजित करने” के अपने उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रहा है।

सिक्के का मूल्य वर्ग आकार और बाहरी व्यास मानक भार धातु संरचना
एक सौ रुपए मात्र

वृत्ताकार

व्यास- 44मिमी

दांतो की संख्या -200

35 ग्राम चतुर्थक मिश्र धातु

चाँदी – 50%, तांबा – 40%

निकेल – 05% and जिंक - 05%

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